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RAJASTHAN STATE FORWARD BLOC
4658, BURAD HOUSE,
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BERI-KA-BAS,
KGB-KA-RASTA,
JOHARI BAZAR,
JAIPUR-302003
09001060013
मार्क्सवादियों की दादागिरी ही देगी वामपंथ को विदाई !
पश्चिम बंगाल में आम अवाम ने वामपंथी जनवादी मोर्चे को सत्ता इसलिये सौंपी थी कि वे जनहित में काम करेगें। कामरेड ज्योति वसु की विदाई के बाद मार्क्सवादियों ने कामरेड बुद्धदेव भटटाचार्य को मुख्यमंत्री बना कर पश्चिम बंगाल की कमान सौंपी। सत्ता संचालन के लिये वाम-जनवादी मोर्चे की एक कोआर्डिनेशन कमेटी भी पहिले की तरह ही बनी। लेकिन सत्ता के मद में मदहोंश मार्क्सवादी नेताओं ने अपना बडापन दिखाना शुरू कर दिया और वाम-जनवादी मोर्चा कोआर्डिनेशन कमेटी को नजरन्दाज कर निर्णय लिये जाने लगे। नतीजन सहयोगी दलों की अनदेखी कर, की गई अपनी सियासी गलतियों के कारण, उन्हें नन्दीग्राम और सिंगूर में आम अवाम की नाराजगी का कहर सहना पडा साथ ही पंचायती राज संस्थाओं के चुनावों में मुंह की खानी पडी।

फारवर्ड ब्लाक पश्चिम बंगाल वाम-जनवादी मोर्चा में माकपा के बाद दूसरी सबसे बडी पार्टी है। रिलायन्स का रिटेल कारोबार हो या राज्य के सीमा क्षेत्र में फर्जी राशन कार्ड का मामला, या फिर हो सेज से सम्बन्धित मुददे ! सीपीएम द्वारा फारवर्ड ब्लाक की अनदेखी करना एक गम्भीर मामला है। ताजा प्रकरण में जर्मन कम्पनी मेट्रो कैश एण्ड कैरी को लाइसेन्स देने के मुददे पर भी फारवर्ड ब्लाक के सख्त विरोध के बावजूद माकपा लाइसेन्स देना चाहती है। माकपा के बडेभाईपन के कारण वाम मोर्चा में दरार के आसार बन रहे हैं। सिंगूर सहित अन्य मुददों पर घटक दल रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी पहिले से ही नाराज चल रही है।
सिर्फ पश्चिम बंगाल में ही नहीं मार्क्सवादियों का बडाभाईपन अन्य प्रदेशों में भी जरूरत से ज्यादा हदें पार कर गया है। राजस्थान सहित अन्य प्रान्तों में माकपा नेताओं का खुले आम कहना है कि वाम-जनवादी मोर्चा केवल पश्चिम बंगाल में ही अस्तित्व में है ! वह भी मात्र सरकार के संचालन हेतु। इस मोर्चे का अन्य प्रान्तों में अस्तित्व नहीं है। हालांकि हिन्दी भाषी क्षेत्रों में माकपा व भाकपा का भी कोई अस्तित्व नहीं है। लेकिन पश्चिम बंगाल, केरल व त्रिपुरा में सत्ता के मद में मदहोंश होकर ये लोग वाम जनवादी एकता के महत्व को भूल गये हैं। यही कारण है कि राष्ट्रीय स्तर पर माकपा को सुश्री मायावती, श्री देवेगौडा, श्री चंद्रबाबू नायडू सरीखे नेताओं को अपना नेता मानने पर मजबूर होना पड रहा है। यह स्थिति अत्यन्त गम्भीर है और वाम-जनवादी दलों के अस्तित्व पर गम्भीर खतरा भी।
अभी भी मार्क्सवादी नेताओं को सोचने समझने का मौका है। उनके सामने उदाहरण है, नेपाल में माओवादियों का सत्ता में आना ! लेकिन भारत में मार्क्सवादी खुद ही वामपंथी जनवादी एकता के लिये खतरा बनते जा रहे हें। अगर अब भी मार्क्सवादी वाम-जनवादी एकता को नजरन्दाज करेगें तो आने वाले वक्त में वामपंथ की विदाई के लिये वे ही गम्भीर रूप से जुम्मेदार होंगे।
राजस्थान स्टेट कमेटी ऑल इण्डिया फारवर्ड ब्लाक की मीटिंग दिनांक 21 सितम्बर, 2008 में पार्टी के स्टेट जनरल सेक्रेटरी हीराचंद जैन का वक्तव्य