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RAJASTHAN STATE FORWARD BLOC
4658, BURAD HOUSE,
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BERI-KA-BAS,
KGB-KA-RASTA,
JOHARI BAZAR,
JAIPUR-302003
09001060013
प्रेस विज्ञप्ति 29 सितम्बर, 2008
नरेगा में अनियमितताओं के चलते 20 जिलों के 50 हजार परिवारों को पलायान करने पर मजबूर होना पडेगा !
जयपुर- फारवर्ड ब्लाक ने साफ-साफ शब्दों में आरोप लगाया है कि राजस्थान सरकार द्वारा, चुनावी फायदा उठाने के लिये, राष्ट्रीय म्रामीण रोजगार गारन्टी एक्ट (एनआरईजीए) के तहत चल रही म्रामीण रोजगार स्कीमों में जमकर धांधलियां की जा रही हैं। नतीजन राज्य के 20 सीमावर्ती जिलों से आदिवासियों,अनुसूचित जाति व पिछडे गरीबों को दीपावली के बाद रोजगार के लिये अन्य राज्यों में पलायन करने के लिये मजबूर होना पडेगा। राजस्थान स्टेट फारवर्ड ब्लाक के जनरल सेक्रेटरी हीराचंद जैन ने आज यहां बताया कि एनआरईजीए योजना में लाभान्वित प्रत्येक व्यक्ति को साल में 100 दिन रोजगार देने का प्रावधान है। इन सौ दिनों को साल के 12 महिनों में विभाजित कर प्रत्येक महिने में योजना में लाभान्वित को कम से कम 10-12 दिन कार्य दिया जाना चाहिये ताकि उसके परिवार को पूरे साल न्यूनतम भरणपोषण लायक राशि मिलती रहे। जिससे वह अपने गांव में ही रहे और उसे गांव छोड कर रोजगार के लिये अन्यन्त्र पलायन करने की नौबत नहीं आये। इस तरह प्रत्येक लाभान्वित को अप्रेल से सितम्बर, 2008 तक इस योजना कि तरह 50 दिन का रोजगार दिया जाना चाहिये था ताकि खरीफ की फसल व अन्य तरीके से अर्जित आय को मिला कर उसके जीवनयापन की अच्छी तरह व्यवस्था हो जाये। ठीक इसके विपरीत राज्य सरकार ने वाहवाही लूटने और चुनावी फायदा उठाने के लिये इस योजना के तहत अधिकांश लाभान्वितों को कागजों में 100 दिन रोजगार उपलब्ध करवाना बता कर केन्द्र सरकार से 1300 करोड से अधिक की अग्रिम धन राशि की मांग की है, ताकि उस राशि का चुनावों में दुरूपयोग किया जा सके।
उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी है कि जिन परिवारों को गैर कानूनी तरीके से 100 दिन रोजगार मुहैय्या करा दिया गया है उन्हें इस योजना के तहत आगे रोजगार नहीं मिलेगा नतीजन दीपावली के बाद बांसवाडा, डूंगरपुर, प्रतापगढ, उदयपुर के आदिवासी इलाके, चित्तौडगढ, कोटा, टौंक, सिरोही, जालौर, बाडमेर, जैसलमेर, राजसमन्द, सीकर, झुंझनू, चूरू, भरतपुर, करौली सहित 20 जिलों के आदिवासियों, अनुसूचित जाति, पिछडावर्ग के गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करनेवाले कम से कम 50 हजार परिवारों को जीवनयापन के लिये रोजगार की तलाश में राजस्थान से बाहर पलायन करने हेतु मजबूर होना पडेगा।
उन्होंने राजस्थान के राज्यपाल श्री शिलेन्द्र कुमार सिंह से हस्तक्षेप कर सारे मामले में उच्चस्तरीय जांच करवाने की मांग की है, साथ ही प्रदेश से सम्भावित पलायन रोकने की पुखता व्यवस्था करवाने भी की मांग की है।
नरेगा में अनियमितताओं के चलते 20 जिलों के 50 हजार परिवारों को पलायान करने पर मजबूर होना पडेगा !
जयपुर- फारवर्ड ब्लाक ने साफ-साफ शब्दों में आरोप लगाया है कि राजस्थान सरकार द्वारा, चुनावी फायदा उठाने के लिये, राष्ट्रीय म्रामीण रोजगार गारन्टी एक्ट (एनआरईजीए) के तहत चल रही म्रामीण रोजगार स्कीमों में जमकर धांधलियां की जा रही हैं। नतीजन राज्य के 20 सीमावर्ती जिलों से आदिवासियों,अनुसूचित जाति व पिछडे गरीबों को दीपावली के बाद रोजगार के लिये अन्य राज्यों में पलायन करने के लिये मजबूर होना पडेगा। राजस्थान स्टेट फारवर्ड ब्लाक के जनरल सेक्रेटरी हीराचंद जैन ने आज यहां बताया कि एनआरईजीए योजना में लाभान्वित प्रत्येक व्यक्ति को साल में 100 दिन रोजगार देने का प्रावधान है। इन सौ दिनों को साल के 12 महिनों में विभाजित कर प्रत्येक महिने में योजना में लाभान्वित को कम से कम 10-12 दिन कार्य दिया जाना चाहिये ताकि उसके परिवार को पूरे साल न्यूनतम भरणपोषण लायक राशि मिलती रहे। जिससे वह अपने गांव में ही रहे और उसे गांव छोड कर रोजगार के लिये अन्यन्त्र पलायन करने की नौबत नहीं आये। इस तरह प्रत्येक लाभान्वित को अप्रेल से सितम्बर, 2008 तक इस योजना कि तरह 50 दिन का रोजगार दिया जाना चाहिये था ताकि खरीफ की फसल व अन्य तरीके से अर्जित आय को मिला कर उसके जीवनयापन की अच्छी तरह व्यवस्था हो जाये। ठीक इसके विपरीत राज्य सरकार ने वाहवाही लूटने और चुनावी फायदा उठाने के लिये इस योजना के तहत अधिकांश लाभान्वितों को कागजों में 100 दिन रोजगार उपलब्ध करवाना बता कर केन्द्र सरकार से 1300 करोड से अधिक की अग्रिम धन राशि की मांग की है, ताकि उस राशि का चुनावों में दुरूपयोग किया जा सके।
उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी है कि जिन परिवारों को गैर कानूनी तरीके से 100 दिन रोजगार मुहैय्या करा दिया गया है उन्हें इस योजना के तहत आगे रोजगार नहीं मिलेगा नतीजन दीपावली के बाद बांसवाडा, डूंगरपुर, प्रतापगढ, उदयपुर के आदिवासी इलाके, चित्तौडगढ, कोटा, टौंक, सिरोही, जालौर, बाडमेर, जैसलमेर, राजसमन्द, सीकर, झुंझनू, चूरू, भरतपुर, करौली सहित 20 जिलों के आदिवासियों, अनुसूचित जाति, पिछडावर्ग के गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करनेवाले कम से कम 50 हजार परिवारों को जीवनयापन के लिये रोजगार की तलाश में राजस्थान से बाहर पलायन करने हेतु मजबूर होना पडेगा।
उन्होंने राजस्थान के राज्यपाल श्री शिलेन्द्र कुमार सिंह से हस्तक्षेप कर सारे मामले में उच्चस्तरीय जांच करवाने की मांग की है, साथ ही प्रदेश से सम्भावित पलायन रोकने की पुखता व्यवस्था करवाने भी की मांग की है।