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RAJASTHAN STATE FORWARD BLOC
4658, BURAD HOUSE,
4658, BURAD HOUSE,
BERI-KA-BAS,
KGB-KA-RASTA,
JOHARI BAZAR,
JAIPUR-302003
09001060013
सर्वघर्म साधु-सन्तों से हार्दिक मार्मिक अपील !
माननीय,
राजस्थान में आज आम नागरिक, आमअवाम, मंहगाई की मार से पीड़ित है। रोजमर्रा उपयोग की वस्तुओं के दाम आसमान को छू रहे हैं। राजस्थान सरकार बहुराष्ट्रीय कम्पनियों, बडे-बडे व्यापारियों, जमाखोरों-कालाबाजारियों के खिलाफ कार्यवाही करने से साफ इन्कार कर रही है। राज्य के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री श्री घनश्याम तिवाड़ी तो यहां तक कहने से नहीं चूके हैं कि राज्य में जमाखोरी हो ही नहीं रही है और कालाबाजारी की भी कोई शिकायत उन्हें नहीं मिली है। राज्य की मुख्यमंत्री और खाद्यमंत्री में जमाखोरों-कालाबाजारियों के खिलाफ कार्यवाही करने की कोई इच्छा शक्ति है ही नहीं ! उन्हें जनता के दु:खदर्दो से ज्यादा चुनावी चन्दा और वोट बटोरने की चिन्ता है। आज से लगभग 110 साल पहिले जयपुर में खाद्यान्नों की भारी कमी हो गई थी। उस वक्त को जयपुर में "छप्पन्या" अकाल के नाम से जाना जाता है। अपने दायीत्व को निभाते हुये, रियासत के तत्कालीन महाराजा सवाई माधोसिंह ने अपने दरबारियों और रियासत के व्यापारियों को आदेश दिया था कि तत्काल जहां से भी हो सके, किसी भी कीमत पर, भरपूर अनाज मंगवाओ और जनता को सस्ता अनाज मुहया करवाओं ! इतिहास गवाह है कि, उस वक्त जयपुर में व्यापारियों ने एक रूपये में गेहूं 16 सेर, जौ 20 सेर और बाजरा-मक्का 30 सेर बेचे और ऐसा करने से हुये घाटे की भरपाई रियासत के खजाने और स्वंय व्यापारियों द्वारा की गई। जनता को सस्ता अनाज मिले इस हेतु रियासत के "दरबार" और व्यापारियों को जनता के प्रति उनके दायीत्व का एहसास कराने के लिये रियासत के साधु-सन्तों ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर राजा और व्यापारियों पर पुरजोर दबाव बनाया था। नतीजन अकाल की विभीषिका में भी जनता को भरपूर अनाज और जानवरों को चारा-पानी की कोई किल्लत-कमी महसूस नहीं हुई। यह सब जयपुर के इतिहार का हिस्सा है। जब कि हर तरह से साधन सम्पन्न होते हुये भी राज्य सरकार आज मंहगाई से पीड़ित जनता से यह बहाना बना कर कि, मंहगाई के लिये केन्æीय सरकार जुम्मेदार है, अपनी जुम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रही है। ऐसे में आमजनता, आमअवाम के दिलों में एक ही सवाल उठ रहा है कि क्या सत्ता के मद में मदहोंश सत्ताधीशों को वोट और नोट वसूलने के अलावा, आमअवाम के प्रति कोई नैतिक जुम्मेदारी बनती है या नहीं ? आज पुन: वक्त आ गया है कि मानवधर्म की पालनार्थ सभी मत,पंथ, सम्प्रदाय, जाति, धर्म के साधु-सन्त, मौलवी, उलेमा आदि एकजुट हो कर मंहगाई से पीड़ित जनता अवाम को राहत दिलवाने के लिये सरकार, बड़े-बडे व्यापारियों, बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के कर्ताधर्ताओं, जमाखोरों-कालाबाजारियों पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर दबाव बनायें कि, वे आमअवाम को रोजमर्रा काम आने वाली वस्तुऐं सस्ते दामों पर मुहया करवायें। फारवर्ड ब्लाक के साथियों की आप सभी से हार्दिक मार्मिक अपील है कि आप अपने, पूंजीपति, बडे-बडे व्यापारी अनुयाइयों को प्रवचनों/व्यक्तिगत प्रभाव के जरिये समझायें व दबाव डालें कि वे उनके गोदामों में भरे माल को उचित मूल्य पर आम जनता, आमअवाम को उपलब्ध करवायें। उन्हें यह भी समझायें कि कुछ समय के लिये वे दान-चन्दा देना बन्द कर इस राशि से उनके मुनाफे में होने वाली कमी को पूरा कर लें। आपके पास आर्शीवाद लेने आनेवाले राजनेताओं को उनके राजधर्म व मानवधर्म पालन की नैतिक जुम्मेदारी का एहसास करवायें और अपने प्रभाव के जरिये उन्हें जनता के प्रति दायीत्व निर्वहन के लिये प्रेरित करें। आप अपने अनुयाइयों को समझायें, आगzह करें और उन पर अपने प्रभाव से दबाव बनायें कि वे शादी-व्याह व अन्य पारिवारिक उत्सवों में आयोजित भोज में कम से कम लोगों को आमंत्रित करें और इन उत्सवों में खाद्य सामगzी उपयोग में 50 प्रतिशत तक कमी करें। धार्मिक भंडारों, स्वामीवात्सल्य भोज, अन्य सामाजिक भोज, सहमिलन भोज, गोठ आदि के आयोजन आगामी चार माह की अवधि तक के लिये स्थगित करा दें। इन उपायों और अन्य इस ही तरह के उपायों से मंहगाई पर कम से कम आंशिक रूप से काबू पाया जा सकता है। माननीय, आप धर्माचार्य है ! आप अगर अपनी इच्छा शक्ति से प्रयास करें, तो आपके मत-पंथ के गरीबी, मंहगाई से पीड़ित, अनुयाइयों के साथ-साथ, आम गरीब, पीड़ित-शोषित वर्ग भी मंहगाई की दलदल से निकलने में सक्षम हो सकेगा। जरूरत है आपकी इच्छा शक्ति और सक्षम पहल की ! फारवर्ड ब्लाक के साथी आप सभी प्रबुद्धजनों से अपेक्षा करते हैं कि आप आमअवाम की मानवीय करूणाजन्य पीड़ा को समझेंगे और उनके प्रति अपने कर्तव्य-दायीत्वों के क्रम में उन्हें मंहगाई की दलदल से निकालने हेतु क्रियात्मक पहल करेगें। इस ही अपेक्षा में, फारवर्ड ब्लाक के साथियों का आप सभी को क्रान्तिकारी अभिवादन !
03/2008