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RAJASTHAN STATE FORWARD BLOC
4658, BURAD HOUSE,
4658, BURAD HOUSE,
BERI-KA-BAS,
KGB-KA-RASTA,
JOHARI BAZAR,
JAIPUR-302003
09001060013
सत्ता के मद में मदहोंश राजनेताओं ! होंश में आओ !
जमाखोरों-कालाबाजारियों पर लगाम कसो या कुर्सी छोड़ो !
वर्ना जनता आती है !
साथियों,राजस्थान में आम अवाम मंहगाई की मार से पीड़ित है। गरीब व मध्यमवर्ग के लिये दो वक्त की रोटी "निवाला" जुटाना भी मुश्किल हो रहा है। लेकिन राजस्थान की भाजपानीत श्रीमती वसुन्धराराजे सरकार बड़े-बडे व्यापारियों-कालाबाजारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने से कतरा रही है। आम अवाम के दिलों में एक ही सवाल उठ रहा है कि क्या सत्ता के मद में मदहोंश सत्ताधीशों को वोट और नोट वसूलने के अलावा आम अवाम से कोई सरोकार नहीं है ? क्या अवाम के प्रति उनकी कोई नैतिक जुम्मेदारी नहीं बनती है ? जनता जवाब मांगती है ! बहुराष्ट्रीय कम्पनियों सहित बडे-बडे पूंजीपतियों, सरमायेदारों, व्यापारियों, जमाखोरों- कालाबाजारियों के दबाव में आकर भाजपानीत श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्ववाली केन्æ सरकार, जिसमें श्री लालकृष्ण आड़वानी उपप्रधानमंत्री थे, ने वर्ष 2002 में आम अवाम के हितों को नजरअन्दाज कर राज्य सरकारों से स्टाक सीमा तैय करने का अधिकार छीन लिया और बडे-बडे व्यापारियों को जमाखोरी करने की पूरी छूट दे दी। सत्ताधीशों और बडे व्यापारियों की सांठगांठ से लिये गये इस फैंसले का खामियाजा आज राजस्थान की जनता को भुगतना पड़ रहा है। क्योंकि भाजपानीत राजस्थान की श्रीमती वसुन्धरा राजे सरकार, श्री अटल बिहारी वाजपेयी-श्री लालकृष्ण आडवानी के नेतृत्व वाली, तत्कालीन भाजपानीत केन्æ सरकार के इस ही आदेश की आड़ लेकर जमाखोरों-कालाबाजारियों के खिलाफ कार्यवाही करने में आनाकानी कर रही है। खुद भाजपानीत राज्य सरकार के पूर्व खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री डा. किरोड़ी लाल मीणा ने स्वीकारा है कि आवश्यक वस्तु अधिनियम में शामिल वस्तुओं की स्टाक सीमा तैय करने के लिये पत्रावली उन्होंने मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे के पास भेजी थी, जो बडे-बडे व्यापारियों के दबाव के चलते मुख्यमंत्री कार्यालय में धूल चाट रही है। साथियों, सवाल यह भी उठता है कि भारतीय जनता पार्टी जहां आन्धz प्रदेश सरकार से मंहगाई रोकने में असफल रहने का आरोप लगा कर इस्तीफे की मांग कर रही है, वहीं राजस्थान की श्रीमती वसुन्धरा राजे सरकार से इस्तीफा क्यों नहीं मांग रही है। दिल्ली, महाराष्ट्र व आंध प्रदेश सहित कई कांगस शासित राज्यों में जमाखोरों-कालाबाजारियों पर राज्य सरकारों द्वारा छापेमारी की जा रही है, जमाखोरों-कालाबाजारियों का लाखों टन खाद्यान एवं खाद्य तेल जप्त किया जा रहा है, लेकिन राजस्थान में जहां 500 से 1000 करोड़ रूपये का खाद्यान-खाने का तेल प्राईवेट वेयरहाÅसों में जमा पड़ा है, भाजपानीत श्रीमती वसुन्धरा राजे राज्य सरकार कालाबाजारियों- जमाखोरों पर छापे नहीं डाल रही है। अनाज, खाद्य तेलों के जखीरों को जप्त न कर उन्हें संरक्षण दे रही है, आखीर क्यों ? जवाब दे मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे और खाद्य मंत्री तिवाड़ी जी ! जमाखोरों-कालाबाजारियों को संरक्षण देने वाले सत्ता के मद में मदहोंश राजनेताओं, याद रखो ! राजस्थान का गरीब-पीड़ित-शोषित वर्ग जो मंहगाई के बूंटों तले रोंदा जा रहा है, अपनी दो वक्त की रोटी, रूखा सूखा निवाला जुटाने के लिये खर्च की जा रही अपनी खून पसीने की कमाई को जमाखोरों-कालाबाजारियों द्वारा लूटते हुये देख रहा है। शोषित पीड़ित अवाम ने अगर तुम्हारी तकदीर पर वोट का हथौड़ा जड़ दिया तो, राजनेताओं ! अपना अस्तित्व तलाशते रह जाओगे। राजस्थान के अवाम की सत्ताधीशों से एक ही गुजारिश है कि वे अपनी चुनावी नौटंकियां बंद करे ! मंहगाई के कसीदों में घड़ियाली आंसू बहाना बन्द करे और अवाम की मानवीय करूणाजन्य पीड़ा को समझे, गम्भीरता से लें और उसे हर हाल में मंहगाई की दलदल से बाहर निकाले। वर्ना अगर आंधी-अन्धड-तूफान-बवण्डर की तरह गरीबों के लश्करों, अवाम के लश्करों ने जमाखोरों के गोदामों का रूख कर लिया तो सत्ताधीशों को भारी पडेगा ?
राजस्थान के गरीब पीड़ितों की मानवीय करूणाजन्य पीड़ा को समझने वालों और उसको दूर करने में जुटे हमदर्दो को फारवर्ड ब्लाक का लाल सलाम !
02/2008