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प्रेस विज्ञप्ति 23 जुलाई, 2008
जयपुर- भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के पोलित व्यूरो द्वारा लोकसभा स्पीकर श्री सोमनाथ चटर्जी को पार्टी से निकालने के निर्णय को फारवर्ड ब्लाक के स्टेट जनरल सेक्रेटरी हीराचंद जैन ने सीपीआई (एम) के शीर्ष नेतृत्व की दूसरी गम्भीर गलती करार देते हुये इसे सुधार ने की मांग की है।
फारवर्ड ब्लाक के स्टेट जनरल सेक्रेटरी हीराचंद जैन ने आज यहां कहा कि हालांकि यह सीपीआई (एम) का आन्तरिक मामला है, लेकिन यह मुददा देश की सर्वोच्च संस्था लोकभा से जुड़ा है। सोमनाथ दा लोकसभा के स्पीकर हैं और व्यक्ति जब लोकसभा का स्पीकर चुन लिया जाता है तब भारत के संविधान के अनुच्छेद 10 के तहत उस पर पार्टी विप लागू नहीं होता है और जब पार्टी विप ही लागू नहीं होता है तो अनुशासनहीनता का तो सवाल ही पैदा नहीं होता है। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का अस्तिव भी भारत के संविधान के तहत है और यह जरूरी है कि पार्टी को निर्णय लेने से पहिले भारत गणतन्त्रा के संविधान और इसके तहत गठित सर्वोच्च संवैधानिक संस्था व उसके अध्यक्ष के संवैधानिक अधिकारों और जुम्मेदारियों का अध्ययन कर लेना चाहिये था, जोकि नहीं किया गया और बौखलाहट व जल्दीबाजी में गलत निर्णय लेलिया गया।
उन्होंने सीपीआई (एम) पोलित व्यूरो के निर्णय को कामरेड प्रकाश करात लाबी की बौखलाहट करार देते हुये सवाल किया कि मार्क्सवादी पार्टी के संविधान के अनुसार पोलित व्यूरो को किसी भी वरिष्ठ पार्टी सदस्य को पार्टी से निकालने का अधिकार ही नहीं है। अगर पोलित व्यूरो को किसी पार्टी सदस्य का कृत्य अनुशासनहीनता लगता है तो वह ज्यादा से ज्यादा उसे पार्टी से निलम्बित कर मामले को पार्टी की अनुशासन समिति को सौंप सकता है। पार्टी अनुशासन समिति उसकी जांच कर रिपोर्ट पार्टी केन्द्रीय कमेटी को देगी और केन्द्रीय कमेटी ही अन्तिम निर्णय लेगी।
उन्होंने बताया कि सोमनाथ दा के निष्कासन के मामले में सीपीआई (एम) पोलित ब्यूरो ने अपनी ही पार्टी के संविधान का खुल्लमखुल्ला गम्भीर उलंधन किया है और यह उनकी दूसरी बडी भूल है। कामरेड ज्योति वसु को प्रधानमंत्री बनने से रोकने का खामियाजा पहिले ही वामपंथी भुगत रहे हैं और अब इस दूसरी गलती का खामियाजा सभी वामपंथियों को भुगतना होगा।